Class 10th Sanskrit पाठ- 4 संस्कृतसाहित्ये लेखिका: ( Subjective )
1.’सर्व शुक्ला सरस्वती किसे कहा गया है’, और क्यों ?
उत्तर– सर्वशक्ला सरस्वती, विजयाड़ा को कहा गया है । लौकिक संस्कृत में विजयाना की भूमिका सराहनीय है। उसके पदों की सौष्ठवता देखने में बनती है । एक असाधारण लेखिका की पराकाष्ठता से प्रभावित होकर ही दण्डी ने उसे सर्वशक्ला सरस्वती कहा है। विजयाना श्याम वर्ण की थी किन्तु उसका कृत्तिया ज्योतिर्मय थीं। नीलकमल की पंखुड़ियों की तरह विजयादा अपनी रचना में अद्भुत लेखन कला की आभा बिखेरती है।
2. इस पाठ से हमें क्या संदेश मिलता है ?
उत्तर– इस पाठ के द्वारा संस्कृत साहित्य के विकास में महिलाओं के योगदान के बारे में ज्ञात होता है। वैदिक युग से आधुनिक समय तक ऋषिकाएँ, कवयित्री, लेखिकाएँ संस्कृतसाहित्य के संवर्धन में अतुलनीय सहभागिता प्रदान करती रही हैं । संस्कृत लेखिकाओं की सुदीर्घ परम्परा है। संस्कृत भाषा के उन्नयन एवं पल्लवन में पुरुषों के समतुल्य महिलाएँ भी चलती रही हैं।
3. संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।
उत्तर– संस्कृत की सेवा जिस प्रकार पुरुषों ने की है उसी प्रकार महिलाओं ने भी वैदिक युग से आज तक इसमें भाग लिया है। प्रायः इस विषय की उपेक्षा हुई है। प्रस्तुत पाठ में संक्षिप्त रूप से संस्कृत की प्रमुख लेखिकाओं का उल्लेख किया गया है। उनके योगदान संस्कृत साहित्य के इतिहास में अमर है।
4. शास्त्र-लेखन एवं रचना-संरक्षण में वैदिककालीन महिलाओं के योगदानों की चर्चा करें।
उत्तर– वैदिककाल में शास्त्र-लेखन एवं रचना-संरक्षण में पुरुषों की तरह महिलाओं ने भी काफी योगदान दिया है । ऋग्वेद में चौबीस और अथर्ववेद में पाँच महिलाओं का योगदान है। यमी, अपाला, उर्वशी, इन्द्राणी और वागाम्भृणी वैदिककालीन ऋषिकाएँ भी मंत्रों की दर्शिकाएँ थी।
5. संस्कृतसाहित्य में दक्षिण भारतीय महिलाओं के योगदानों का वर्णन करें।
उत्तर– चालुक्य वंश की महारानी विजयभट्टारिका ने विजयाङ्गा की रचना कर लौकिक संस्कृत साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। लगभग चालीस दक्षिण भरतीय महिलाओं ने एक सौ पचास संस्कृत-काव्यों की रचना की है। इन महिलाओं में गंगादेवी, तिरुमलाम्बा, शीलाभट्टारिका, देवकुमारिका, राम भद्राम्बा आदि प्रमुख हैं। इनकी रचनाएँ पद्य में हैं।
6. संस्कृतसाहित्य में आधुनिक समय के लेखिकाओं के योगदानों की चर्चा करें।
उत्तर– संस्कृतसाहित्य में आधुनिक समय की लेखिकाओं में पण्डिता क्षमाराव अति प्रसिद्ध हैं। उन्होंने शंकरचरितम्, सत्याग्रहगीता, मीरालहरी, कथामुक्तावली, विचित्र-परिषदयात्रा, ग्रामज्योति इत्यादि अनेक गद्य-पद्य ग्रन्थों की रचना की। वर्तमानकाल में लेखनरत कवियित्रों में पुष्पा दीक्षित, वनमाला भवालकर, मिथिलेश कुमारी मिश्र आदि प्रतिदिन. संस्कृतसाहित्य को समृद्ध कर रही है।
7. संस्कृतसाहित्य में विजयनगर राज्य के योगदानों का वर्णन करें।
उत्तर– विजयनगर राज्य के राजाओं ने संस्कृतसाहित्य के संरक्षण के लिए जो प्रयास किए थे वे सर्वविदित है । उनके अंत:पुर में भी संस्कृत-रचना में कुशल रानियाँ हई। इनमें कम्पणराय की रानी गंगादेवी तथा अच्युताराय की रानी तिरुमलाम्बा प्रसिद्ध हैं। इन दोनों रानियों की रचनाओं में समस्त पदावली और ललित पद-विन्यास के कारण संस्कृत-गद्य शोभित होता है।
8. ‘संस्कृत साहित्ये लेखिका: पाठ में लेखक ने क्या विचार व्यक्त किए हैं ?
उत्तर– ‘संस्कृतसाहित्ये’ लेखिका पाठ में लेखक का विचार है कि प्राचीन काल से लेकर आज तक महिलाओं ने संस्कृत साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। दक्षिण भारत की महान साहित्यकार महिलाओं ने भी संस्कृत साहित्य को समृद्ध बनाया।
9. ‘संस्कृतसाहित्ये’ लेखिका: पाठ के आधार पर लेखक के संदेश को स्पष्ट करें।
उत्तर– संस्कृतसाहित्ये लेखिका पाठ में लेखक का स्पष्ट संदेश है कि महिला और पुरुष दोनों के योगदान से ही समाज की गाड़ी चलती है। साहित्य में भी दोनों का समान महत्त्व है। इस पाठ में अति प्रसिद्ध लेखिकाओं की चर्चा है, जिन्होंने साहित्यरूपी खजाने को भरने में अपना योगदान दिया है।
Class 10th Sanskrit Subjective 2022
पाठ -1 | मङ्गलम् |
पाठ -2 | पाटलिपुत्रवैभवम |
पाठ -3 | अलसकथा |
पाठ -4 | संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः |
पाठ – 5 | भारतमहिमा |
पाठ -6 | भारतीयसंस्काराः |
पाठ -7 | नीतिश्लोकाः |
पाठ – 8 | कर्मवीरकथा |
पाठ -9 | स्वामी दयानन्दः |
पाठ -10 | मन्दाकिनीवर्णनम् |
पाठ -11 | व्याघ्रपथिककथा |
पाठ -12 | कर्णस्य दानवीरता |
पाठ -13 | विश्वशांति: |
पाठ -14 | शास्त्रकाराः |