कार्बन एव उसके यौगिक ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) class 10th science question answer carbon tatha Uske yogik Matric Pariksha 2022
कार्बन एव उसके यौगिक ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) : carbon tatha Uske yogik Subjective Question 2022. Bihar board Matric Pariksha 2020 carbon tatha Uske yogik objective question answer in hindi pdf download for class 10th students. कार्बन तथा उसके यौगिक प्रश्न उत्तर क्लास 10th विज्ञान प्रश्न उत्तर जो बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा 2022 के लिए है इसे एक बार जरूर पढ़ें।
1. निम्नलिखित यौगिकों का संरचना सूत्र लिखें –
(i) मिथेन
(ii) इथेन
(iii) प्रोपेन’
(iv) ब्यूटेन
(v) पेंटेन
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2. हाइड्रोकार्बन क्या है ? यह कितने प्रकार का होता है-
उत्तर ⇒ हाइड्रोकार्बन – कार्बन और हाइड्रोकार्बन से बने यौगिक को हाइड्रोकार्बन कहते हैं।
हाइड्रोकार्बन तीन प्रकार के होते हैं
(i) संतृप्त हाइड्रोकार्बन
(ii) असंतृप्त हाइड्रोकार्बन
(iii) ऐरोमेटिक हाइड्रोकार्बन
(i) संतृप्त हाइड्रोकार्बन – जब कार्बन की चारों संयोजकताएँ एकल आबंध द्वारा जुड़े हों तो ऐसे हाइड्रोकार्बन को संतृप्त हाइड्रोकार्बन कहा जाता है। जैसे—मिथेन (CH4), इथेन (C2H6) आदि संतृप्त हाइड्रोकार्बन हैं।
(ii) असंतृप्त हाइड्रोकार्बन – जब दो कार्बन परमाणुओं के बीच द्विआबंध अथवा तीन आबंध हो तो ऐसे हाइड्रोकार्बन को असंतृप्त हाइड्रोकार्बन कहते हैं। द्विआबंध वाले हाइड्रोकार्बन एलकीन और मिश्राबंध वाले हाइड्रोकार्बन एल्काइन कहे जाते हैं।
(iii) एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन – ऐरोमेटिक हाइड्रोकार्बन की वलय संरचना होती है।
3. एथेनॉल से इथेनॉइक अम्ल में परिवर्तन को ऑक्सीकरण अभिक्रिया क्यों कहा जाता है ?
उत्तर ⇒ एथाइल एल्कोहल को क्षारीय KMnO4 अथवा अम्लीय K2Cr2O7 के साथ गर्म करने पर एथनॉइक अम्ल बनता है।
यहाँ क्षारीय KMnO4 अथवा अम्लीय K2Cr2O7 में ऑक्सीजन देने की क्षमता होती है। ये पदार्थ ऑक्सीकारक हैं। ये आरंभिक पदार्थ एल्कोहल में ऑक्सीजन जोड़ते हैं। अतः एथेनॉल से एथेनॉइक अम्ल में परिवर्तन को ऑक्सीकरण अभिक्रिया कही जाती है।
4. साबुन और अपमार्जक में अन्तर बतावें।
उत्तर-
साबुन | अपमार्जक |
1. साबुन में कार्बोक्सिलिक अम्ल की लंबी श्रृंखला वाला सोडियम लवण होता है। साबुन में यनिक समूह -COO – Na+ होता है | 1. अपमार्जक में लंबी श्रृंखला के बेंजीन सल्फोनिक अम्ल का सोडियम लवण होता है । इसमें आयनिक समूह SO3-Na+ या SO4-Na+ है। |
2. साबुन कठोर जल में सफाई के लिए उपयुक्त नहीं है। | 2. यह कठोर जल में भी सफाई के लिए उपयोगी है। |
3. साबुन वनस्पति तेलों से बनता है। | 3. अपमार्जक पेट्रोलियम के हाइड्रोकार्बन से बनते हैं। |
4. साबुन से सफाई क्रिया निम्न स्तर पर संभव है। | 4. अपमार्जक से सफाई क्रिया उच्च स्तर पर संभव है। |
5. साबुन से जल प्रदूषण कम होता है। | 5. इससे जल प्रदूषण अधिक होता है। |
5. निम्नलिखित संतृप्त हाइड्रोकार्बनों के अणुसूत्र एवं संरचना सूत्र लिखें।
(i) एथीन
(ii) प्रोपेनल
(iii) ब्यूटेन
(iv) क्लोरोप्रोपेन
उत्तर ⇒
6. संरचना सूत्र लिखें।
(i) बेंजीन
(ii) इथाइन
(iii) फॉरमल्डिहाइड
7. निम्नलिखित कार्बनिक यौगिक का संरचना सूत्र लिखें।
(i) डाइक्लोरोमिथेन
(ii) इथेनोइक अम्ल
(ii) मिथेन
(iv) फॉरमल्डिहाइड
अथवा, एसीटिलीन बनाने की सामान्य विधि को लिखें। एसीटिलीन के सामान्य रासायनिक गुणों को लिखें।
अथवा,
कैल्शियम कार्बाइड एवं जल की प्रक्रिया से : साधारण तापक्रम पर ही कैल्शियम एवं जल की प्रक्रिया से एसीटिलीन (C2H2) बनता है।
CaC2+2H2O → Ca (OH)2+C2H2
रासायनिक गुण :
(i) H2का योग – 200 – 250°C पर प्लैटिनम उत्प्रेरक की उपस्थिति में एसीटिलीन एवं हाइड्रोजन के योग से इथेन बनता है।
(ii) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल का योग – Hgso4 उत्प्रेरक की उपस्थिति में एसीटिलीन तनु H2SO4 में प्रवाहित करने पर पहले विनाइल एल्कोहल बनता है जो बाद में एसीटल्डिहाइड में बदल जाता है।
8. निम्न यौगिकों के संरचनाएँ चित्रित कीजिए –
(i) एथनॉइक अम्ल
(ii) ब्रोमो पेन्टेन
(i) ब्यूटनोन
(iv) हेक्सेनैल
क्या ब्रोमो पेन्टेन का संरचनात्मक समावयव संभव है ?
उत्तर ⇒
9. निम्नलिखित कार्बनिक यौगिकों के रचना सूत्र लिखें।
(i) ब्यूटीन
(ii) मेथनल
(iii) टॉलुइन
(iv) नेपथलीन
10. निम्नलिखित के इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना बनाइए :
(a) एथनॉइक अम्ल ।
(b) H2S
(c) F2
11. एथेनॉल निम्नांकित में प्रत्येक से किस प्रकार अभिक्रिया करता है ?
(i) अम्ल (HBr)
(ii) PCl5
(iii) सान्द्रं (H2SO4)के आधिक्य
(iv) अम्लीय KMnO4
12. इथेनोइक अम्ल का निम्नलिखित के साथ होने वाली अभिक्रियाओं का रासायनिक समीकरण लिखें।
(क) सोडियम (ख) सोडियम कार्बोनेट (ग) सोडियम बाइकार्बोनेट।
उत्तर- एथेनॉइक अम्ल की अभिक्रिया
(क) सोडियम से एथेनॉइक अम्ल सोडियम से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस मुक्त करता है।
2CH3COOH + 2Na → 2CH3COONa + H2
(ख) सोडियम कार्बोनेट से अभिक्रिया – एथेनॉइक अम्ल सोडियम कार्बोनेट से अभिक्रिया कर कार्बन डायऑक्साइड (CO2) गैस मुक्त करता है।
2CH3COOH + Na2Co3→ 2CH3COONa + H2O + CO2
(ग) सोडियम बाइकार्बोनेट से अभिक्रिया – एथेनॉइक अम्ल सोडियम बाइकार्बोनेट से अभिक्रिया कर कार्बन डायऑक्साइड (CO2) उत्पन्न करता है।
2CH3COOH + NaHCO3→CH3COONa + CO2 + H2O
13. एथनॉल की प्राप्ति किण्वन विधि से करें। इथेनॉल के दो उपयोग लिखें।
उत्तर ⇒ एथनॉल को सामान्यतः एल्कोहल कहा जाता है। इसका सामान्य सत्र CnH2n+1OH है। इथाइल एल्कोहल अथवा मिथाइल एल्कोहल सामान्य की श्रेणी में आता है
एल्कोहल सामान्य एल्कोहल—C2H5OH
मिथाइल, एल्कोहल-CH3OH
प्रयोगशाला में एथनॉल या एल्कोहल बनाने की विधि – प्रयोगशाला में एथनॉल, एथिल क्लोराइड (C2H5CI) को सोडियम हाइड्रोक्साइड के जलीय घोल के साथ गर्म कर बनाया जाता है
यह रंगहीन, सुनहला गंध देने वाला, ऊर्ध्वपतित पदार्थ, जल में घुलनशील तथा लिटमस के प्रति उदासीन होता है।
इसका उपयोग, टिंचर आयोडीन, कफ सीरप, टॉनिक बनाने में होता है। इसका उपयोग लोग पीने में भी करते हैं
14. प्रयोगशाला में मिथेन गैस बनाने की विधि एवं क्लोरीन के साथ . इसकी अभिक्रिया लिखें।
उत्तर- प्रयोगशाला में मिथेन गैस सोडियम एसीटेट को सोडालाइम के साथ गर्म कर बनाई जाती है।
मिथेन की क्लोरीन से अभिक्रिया – सूर्य से विसरित प्रकाश की उपस्थिति में मिथेन की अभिक्रिया क्लोरीन से कराने पर उसके हाइड्रोजन परमाणु एक-एक कर क्लोरीन द्वारा विस्थापित हो जाते हैं।
15. कार्बन एवं उसके यौगिकों का उपयोग अधिकतर अनुप्रयोगों में ईंधन के रूप में क्यों किया जाता है ?
उत्तर ⇒ कार्बन को वायु में जलाने पर काफी ऊष्मा उत्पन्न होती है।
C+ O2 → CO2 + ऊष्मा + प्रकाश
कार्बन के यौगिक CH4, C2H6 आदि यौगिकों को भी ऑक्सीजन के साथ गर्म करने पर काफी ऊष्मा प्रदान करता है।
CH4 + 202 → CO2 + 2H2O + ऊष्मा + प्रकाश . इथायल एल्कोहल भी कार्बन का यौगिक है. जो ऑक्सीकरण के कारण काफी ऊष्मा प्रदान करते हैं।
2C2H5OH + 602 → 4C02 + 6H2O + ऊष्मा + प्रकाश कुछ देशों में एल्कोहल में पेटोल मिलाकर उसे स्वच्छ ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
16. एथेनॉइक अम्ल के बनाने की विधियों को लिखें।
उत्तर ⇒ (i) प्रयोगशाला में एथेनॉइक अम्ल एथनॉल का अम्लीय पोटैशियम डायक्रोमेट से अभिक्रिया करके बनाया जाता है।
K2Cr2O7 + 4H2SO4 → K2SO4 + Cr2(SO4)3 + 4H2O + 3[0] (ii) एथेनॉइक अम्ल का औद्योगिक उत्पादन एथाइन से होता है। सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल में थोड़ा पारद सल्फेट (HgSO4) उत्प्रेरक मिलाकर उसमें एथाइन गैस प्रवाहित करते हैं। इससे एसिटल्डिहाइड बनता है। फिर मैंगनस एसीटेट उत्प्रेरक की उपस्थिति में हवा से ऑक्सीकृत होकर एथेनॉइक अम्ल देता है।
17. मिसेल क्या है? कपड़े की सफाई प्रक्रिया किस प्रकार होती है ?
उत्तर ⇒ जब साबुन अथवा अपमार्जक अणु जल में घुल जाते हैं तो अणु परस्पर एकत्रित होकर गुच्छों का रूप धारण कर लेते हैं जिसको मिसेल कहते हैं। इसमें पूँछ । अंदर की ओर चिपक जाती है एवं सिर बाहर की ओर इंगित होते हैं।
शोधन प्रक्रिया में हाइड्रोकार्बन पूछे तैलीय गंदगी से चिपक जाती है। जब जल को हिलाते हैं तो तैलीय गंदगी ऊपर उठने का प्रयास करती है जिससे यह छोटे-छोटे टुकड़ों में वियोजित हो जाती है। यह प्रक्रम दूसरे अपमार्जक अणुओं की पूँछों को चिपकने का अवसर प्रदान करता है। अब इस विलयन में अनेक छोटी-छोटी तैलीय गोलिकाएँ जो चारों तरफ से अपमार्जक अणुओं द्वारा घिरी हुई विद्यमान होती हैं। अपमार्जक विलयन में उपस्थित ऋणात्मक सिरों द्वारा छोटी-छोटी तैलीय गोलिकाएँ परस्पर संयुक्त होकर पुंज बनाने से वंचित रह जाती हैं। इस प्रकार वस्तु से तैलीय गंदगी दूर हो जाती है।
आजकल उपयोग में आने वाले अपमार्जकों की हाइड्रोकार्बन शृंखलाएँ अल्पशाखित होती हैं जो बहुशाखित अपमार्जकों की तुलना में सूक्ष्म जीवियों द्वारा शीघ्रतापूर्वक विखंडित हो जाती है।
18. कार्बन के दो अपरूपों में हीरा कठोर और ग्रेफाइट मुलायम होता है। क्यों ?
उत्तर ⇒ हीरे में कार्बन का प्रत्येक परमाणु कार्बन के चार अन्य परमाणुओं के साथ आबंधित होता है जिससे एक दृढ़ त्रिआयामी संरचना बनती है। ग्रेफाइट में कार्बन के प्रत्येक परमाणु का आबंध कार्बन के तीन अन्य परमाणुओं के साथ एक ही तल पर होता है जिससे षट्कोणीय व्यूह मिलता है। इनमें से एक आबंध द्विआबंधी होता है जिसके कारण कार्बन की संयोजकता पूर्ण होती है। ग्रेफाइट की संरचनाएँ षट्कोणीय तल एक – दूसरे के ऊपर व्यवस्थित होते हैं। इन दो विभिन्न संरचनाओं के कारण हीरा काफी कठोर और ग्रेफाइट मुलायम होता है। हीरा विधूत का कुचालक और ग्रेफाइट विधूत के सुचालक होते हैं। फुलेरीन कार्बन अपरूप का एक अन्य वर्ग है।
19. प्रकार्यात्मक समूह (Functional Group) से क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ संतृप्त हाइड्रोकार्बन की अपेक्षा असंतृप्त हाइड्रोकार्बन अधिक अभिक्रियाशील होते हैं।
असंतृप्त हाइड्रोकार्बनों की अभिक्रियाशीलता कार्बन-कार्बन द्विआबंध (C = C) एवं कार्बन-कार्बन त्रिआबंध (C = C) की उपस्थिति के कारण होती है। कार्बन-कार्बन द्विआबंध (C = C) एवं कार्बन-कार्बन त्रिआबंध (C = C) पर हाइड्रोकार्बनों की अधिकांश अभिक्रियाएँ आधारित हैं।
C2H6 एथेन और C2H5OH का उदाहरण लें तो पाते हैं कि इन दोनों यौगिकों के भौतिक और रासायनिक गुण भिन्न-भिन्न हैं। कार्बनिक यौगिकों में वह समूह जिसके चलते इनकी क्रियाशीलता बढ़ जाती है, प्रकार्यात्मक समूह (Functional Group) कहा जाता है।
-C≡C- है।
इसी प्रकार – CHO, COOH, > C=O
— NH2 एवं — NO2 आदि क्रमशः एल्डिहाइड, कार्बोक्सिल, कीटोनो, एमीनो और नाइट्रो समूह के उदाहरण हैं।
—Cl, —Br तथा – OH हैलो समूह तथा एल्कोहली समूह कहे जाते हैं।
20. साबुन की सफाई की प्रक्रिया की क्रिया-विधि समझाइए।
उत्तर ⇒ हम जानते हैं कि तेल पानी में अघुलनशील है और अधिकांश मैल तैलीय होते हैं। जब किसी मैले कपड़े पर साबुन को जल के साथ मिलाकर हाथ से रगड़ा जाता है। अथवा ब्रश द्वारा रगड़ा जाता है तो मिसेल का निर्माण हो जाता है। मैल मिसेल के हाइड्रोकार्बन वाले भाग से चिपक जाते हैं और चारों ओर से ऋण आवेश (COO-)से घिर जाते हैं, ताकि वह फिर साफ होने वाली कपड़े से पुनः चिंपक न जाएँ। कपड़े पर जल डालने पर या कपड़े को जल में डुबाने पर मैल मिसेल के रूप में कपड़े को तुरंत छोड़ कर जल में निलंबित हो जाते हैं और कपड़े की सफाई हो जाती है।
21. प्रयोगशाला में मिथेन गैस किस प्रकार बनाया जाता है ? सिद्धान्त सहित वर्णन करें।
अथवा, प्रयोगशाला में मिथेन बनाने की विधि एवं क्लोरीन के साथ इसकी रासायनिक अभिक्रिया को लिखें।
M.Q., Set-III: 2015, 2015A, M.Q., Set-II : 2016)
उत्तर ⇒ सिदान्त सोडियम एसीटेट एवं सोडा लाइम के मिश्रण को गर्म करने से मिथेन गैस बनती है।
CH3ÚCOONa + NaOH → Na2CO3 + CH4 ↑
प्रयोगशाला में मिथेन गैस बनावट
चित्रानुसार उपकरण सजाकर कड़े काँच की परखनली में सोडियम एसीटेट और सोडालाइम के मिश्रण को गर्म किया जाता है जिससे मिथेन गैस निकलती है, जिसे पानी के विस्थापन विधि द्वारा गैस जार में जमा किया जाता है।
मिथेन क्लोरीन से निम्न प्रकार से प्रतिक्रिया करता है –
CH4+CI2 → CH3CI + HCÍ
CH3CI + Cl2 → CH2C12 + HCI
CH2C12 +Cl2 → CHCl3 + HCI
CHCI3 + C12 → CCI4 +HCI
22. साबुन की सफाई प्रक्रिया की क्रिया विधि समझाएँ।
उत्तर ⇒ साबुन सफाई करने की विशेष प्रणाली पर आधारित होते हैं। इनमें ऐसे अणु होते हैं जिसके दोनों सिरों के विभिन्न गुणधर्म होते हैं। जल में घुलनशील एक सिरे को हाइड्रोफिलिक कहते हैं। हाइड्रोकार्बन में विलयशील दूसरे सिरे को हाइड्रोफोबिक कहते हैं। जब साबुन जल की सतह पर होता है तब इसके अणु अपने को ऐसे व्यवस्थित कर
लेते हैं कि इसका आयोनिक सिरा जल के भीतर होता है जबकि हाइड्रोकार्बन पूँछ (दूसरा छोर) जल के बाहर होता है। जल के अंदर इन अणुओं की विशिष्ट व्यवस्था होती है जिससे इसका हाइड्रोकार्बन सिरा जल के बाहर बना होता है। ऐसा अणुओं का बड़ा समूह (कलस्टर) बनने के कारण होता है। यह हाइड्रोफोबिक पूँछ कलस्टर के भीतरी हिस्से में होता है जबकि उसका आयनिक सिरा कलस्टर की सतह पर होता है। इस संरचना को मिसेल कहते हैं । मिसेल के रूप में साबुन सफाई करने में सक्षम होता है। तैलीय मैल मिसेल के केन्द्र में एकत्र हो जाते हैं। मिसेल, विलयन में कोलॉइड के रूप में बने रहते हैं तथा आयन-आयन विकर्षण के कारण वे अवक्षेपित नहीं होते। इस प्रकार मिसेल में तैरते मैल आसानी से हटाये जा सकते हैं। साबुन के मिसेल इससे प्रकाश को प्रकीर्णित कर सकते हैं। जिसके कारण साबुन का घोल बादलं जैसा दिखता है।
23. समावयता किसे कहते हैं ? पेंटिन के समावयंवों के नाम एवं संरचना सूत्र लिखें।
उत्तर ⇒ वे यौगिक जिनके अणुसूत्र समान हों लेकिन संरचना सूत्र भिन्न-भिन्न हो, समावयवी कहलाते हैं तथा इस घटना को समावयता कहा जाता है।
पेंटेन (C5H12) के समावयव
24. समावयव से क्या अभिप्राय होता है ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
अथवा, ब्यूटेन के समावयव लिखिए।
उत्तर ⇒ समावयव (Isomers) – ऐसे यौगिक जिनका आण्विक सूत्र तो समान हो परंतु अणुओं की संरचनात्मक व्यवस्था भिन्न-भिन्न हो, उन्हें समावयव कहते हैं तथा इस घटना को समावयव कहते हैं । मिथेन, एथेन, प्रोपेन में कार्बन तथा हाइड्रोजन के परमाणुओं को पुनः व्यवस्थित करने पर भी संरचना में कोई परिवर्तन नहीं आता परंतु जब अल्केन के अणु में कार्बन की संख्या तीन से अधिक हो जाती है तो एक से अधिक व्यवस्थाएँ संभव हो जाती हैं । इनमें से एक में कार्बन परमाणु लंबी श्रृंखला बनाते हैं जबकि दूसरे में शाखाएँ होती हैं । ब्यूटेन में शाखायुक्त श्रृंखला में कम-से-कम कार्बन परमाणु तीन अन्य कार्बन परमाणुओं से बंधित है। इस प्रकार अल्केनों को आइसो-अल्केन कहते हैं। शाखारहित शृंखला में कोई भी कार्बन परमाणु दो से अधिक कार्बन परमाणुओं से बंधित नहीं होता है। इस प्रकार के अल्केनों को सामान्य (नार्मल) n-अल्केन कहते हैं।
25. कार्बन क्या है ? अपररूपता से क्या आप समझते हैं ? कार्बन के कितने अपरूप हैं? सोदाहरण वर्णन करें।
उत्तर ⇒ कार्बन – कार्बन एक उपधातु है इसकी संयोजकता चार होती है यह भिन्न यौगिकों से संयोग करके बहुत से कार्बनिक यौगिक बनाते हैं।अपरूपता-तत्वों का एक गुण जिसके द्वारा कोई तत्व ऐसे कई रूपों में पाया जाता है जिनके भौतिक गुण भिन्न-भिन्न हो। लेकिन रासायनिक गुण सामान्य हो अपरूपता कहलाते हैं।कार्बन के तीन अपरूप होते हैं-1. हीरा 2. ग्रेफाइट तथा 3. फुलेरीन।प्रकृति में कार्बन तत्व अनेक विभिन्न भौतिक गुणों के साथ विविध रूपों में पाया जाता है। हीरा एवं ग्रेफाइट दोनों ही कार्बन के परमाणुओं से बने हैं। कार्बन के परमाणुओं के परस्पर आबंधन के तरीकों के आधार पर ही इनमें अंतर होता है। हीरे में कार्बन का प्रत्येक परमाणु कार्बन के चार अन्य परमाणुओं के साथ आबंधि त होता है जिससे एक दृढ़ त्रिआयामी संरचना बनती है। ग्रेफाइट में कार्बन के प्रत्येक परमाणु का आबंधन कार्बन के तीन अन्य परमाणुओं के साथ एक ही तल पर होता है जिससे षट्कोणीय व्यूह मिलता है। इनमें से एक आबंध द्विआबंधी होता है जिसके कारण कार्बन की संयोजकता पूर्ण होती है। ग्रेफाइट की संरचना में षट्कोणीय तल एक दूसरे के ऊपर व्यवस्थित होते हैं।इन दो विभिन्न संरचनाओं के कारण हीरे एवं ग्रेफाइट के भौतिक गणधर्म अत्यंत भिन्न होते हैं, जबकि उनके रासायनिक गुणधर्म एकसमान होते हैं। हीरा अब तक का ज्ञात सर्वाधिक कठोर पदार्थ है, जबकि ग्रेफाइट चिकना तथा फिसलनशील होता है।शुद्ध कार्बन को अत्यधिक उच्च दाब एवं ताप पर उपचारित (Subjecting) करके हीरे को संश्लेषित किया जा सकता है। ये संश्लिष्ट हीरे आकार में छोटे होते हैं, लेकिन अन्यथा ये प्राकृतिक हीरों से अभेदनीय होते हैं।
फुलेरीन कार्बन अपरूप का अन्य वर्ग है। सबसे पहले C-60 की पहचान की गई जिसमें कार्बन के परमाणु फुटबॉल के रूप में व्यवस्थित होते हैं। चूँकि यह अमेरिकी आर्किटेक्ट बकमिसटर फुलर (Buckmister Fuller) द्वारा डिजाइन किए गए जियोडेसिक गुंबद के समान लगते हैं, इसीलिए इस अणु को फुलेरीन नाम दिया गया।
26. प्रकृति में कार्बनिक यौगिकों की अत्यधिक संख्या का क्या कारण है ? उल्लेख करें।
उत्तर ⇒ प्रकृति में कार्बनिक यौगिकों की अत्यधिक संख्या का निम्न कारण हैं –
(i) कार्बन परमाणु में कार्बन के ही अन्य परमाणुओं के साथ आबंध बनाने की अद्वितीय क्षमता होती है, अर्थात् कार्बन परमाणु को अपने-आप में जुड़ने का गुण होता है। कार्बन के इस गुण को शृंखलन या स्वबंधन या कैटिनीकरण कहते हैं। इस गुण के कारण कार्बन परमाणु आपस में जुड़कर सीधी लम्बी श्रृंखला, शाखायुक्तश्रृंखला एवं बंदशृंखला से जुड़े रहते हैं। जैसे –
(ii) कार्बन के परमाणु आपस में तथा दूसरे तत्व के परमाणुओं के साथ एक, द्वि अथवा त्रिबंधन से जुड़ सकते हैं। जैसे –
C-C, C = C, C ≡ C
C-N, C = N, C ≡ N
C-O, C = O
(iii) कार्बन की चतुः संयोजकता के कारण कार्बन के परमाणु कार्बन के अन्य चार परमाणुओं के साथ अथवा कुछ अन्य तत्वों के परमाणुओं के साथ, जैसे-हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सल्फर, क्लोरीन इत्यादि सहसंयोजी आबंध द्वारा जुट सकते हैं। अन्य तत्वों के साथ कार्बन का आबंध अधि क प्रबल होता है, जिसके कारण बने यौगिक स्थायी होते हैं और आकार में छोटे होते हैं।
(iv) कार्बन के यौगिक समावयता प्रदर्शित करते हैं
क्लास 10th साइंस ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर कार्बन तथा उसके यौगिक ( carbon tatha Uske yogik objective question answer Matric exam 2022 ) चैप्टर का महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर इस वेबसाइट पर मिल जाएगा जिसको आप आसानी से पढ़ सकते हैं, और डाउनलोड भी कर सकते हैं डाउनलोड करने के लिए लिंक ऊपर दिया गया है। carbon tatha Uske yogik question answer for Bihar board Matric exam 2022
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