5. रोजगार एवं सेवाएँ ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )
1. रोजगार एवं सेवाएँ एक-दूसरे के पूरक हैं, कैसे ?
उत्तर – ‘रोजगार एवं सेवाएँ का अभिप्राय यहाँ इस बात से है कि जब व्यक्ति अपने परिश्रम एवं शिक्षा के आधार पर जीविकोपार्जन के लिए धन एकत्रित करता है, जब एकत्रित धन को पूँजी के रूप में व्यवहार किया जाता है और उत्पादन के क्षेत्र में निवेश किया जाता है तो सेवा क्षेत्र उत्पन्न होता है। अतः रोजगार एवं सेवा एक-दूसरे के परस्पर सहयोगी है।आर्थिक प्रगति के कारण देश के विकास के साथ सेवा क्षेत्र का विस्तार होता है जिसके फलस्वरूप लोगों के लिए रोजगार के नये अवसर उपलब्ध होते हैं। सेवा क्षेत्र के विकास में शिक्षा की नितांत आवश्यकता है, जिसके कारण लोग रोजगार पाने में सक्षम हो पाते हैं तथा हीन भावना से उठकर देश व राज्य के हित में काम करना प्रारंभ करते हैं जिससे विकास का भाव परिलक्षित होता है। सेवा क्षेत्र का विस्तार ही रोजगार के अवसर को जन्म देता है। उदाहरण से स्पष्ट है कि कोई किसान अपने खेतों में धान उपजाता है, उसमें मेहनत कर चावल प्राप्त करता है। अगर वह किसान अपने घर में चावल चुनकर उसे साफ-सुथरा कर एक किलो का पॉलिथिन पैकेट बनाकर बाजार में बेचने का कार्य करता है तो उसे प्रारंभ से लेकर अंत तक रोजगार मिल जाता है। अगर व्यापार करना चाहता है तो व्यापक स्तर पर कर सकता है, जिसमें अधिक-से अधिक किसानों को रोजगार मुहैया करा सकता है। यदि किसान इससे संबंधित तकनीकि जानकारी और प्रशिक्षण प्राप्त करता है तो अपनी आमदगी और भी बढ़ा सकता है। इस प्रकार रोजगार एवं सेवा एक-दूसरे के पूरक है।
2. भारत सरकार के द्वारा रोजगार सृजन के लिए कौन-कौन से कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ?
उत्तर-भारत सरकार के द्वारा रोजगार सृजन के लिए निम्नलिखित कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं
(i) राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम इस कार्यक्रम – की शुरुआत 1980 ई० में की गई। इसका मुख्य उद्देश्य रोजगार के अवसरों में वृद्धि तथा ग्रामीण निर्धनों के आहार के स्तर में परिवर्तन करना था।
(ii) ग्रामीण युवा स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम- 1973 ई० में ग्रामीण युवा वर्ग की बेरोजगारी को दूर करने के लिए यह कार्यक्रम चलाया गया। इसके तहत युवा वर्ग को विभिन्न प्रकार की ट्रेनिंग दी गई, जिसके द्वारा स्वरोजगार कर सके।
(iii) ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम यह कार्यक्रम- 1983 में प्रारम्भ किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जो गाँवों में भूमिहीन है, उन्हें रोजगार प्रदान करना था।
(iv) जवाहर रोजगार योजना- भारत सरकार ने 1989 ई० में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम एवं ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारण्टी कार्यक्रम को मिलाकर जवाहर रोजगार योजना को प्रारम्भ किया।
(v) काम के बदले अनाज कार्यक्रम- इस कार्यक्रम की शुरुआत 2004 ई० में की गई। इसका उद्देश्य पूरक वेतन रोजगार के सृजन को बढ़ाना था। इसके अन्तर्गत मजदूरी का न्यूनतम 25% भाग का भुगतान नकद राशि में और शेष मजदूरी अनाज के रूप में दी जाती है।
(vi) महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना- इस कार्यक्रम की शुरुआत 2006 ई० में की गई। इस योजना के तहत चयनित जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को वर्ष में कम से कम 100 दिन अकुशल श्रम वाले रोजगार की गारण्टी दी गई है।
3. सेवा क्षेत्र पर एक संक्षिप्त लेख लिखें।
उत्तर- अर्थव्यवस्था के अंदर तीन क्षेत्र होते हैं (पहला प्राथमिक अथवा कृषि क्षेत्र, दूसरा द्वितीय या औद्योगिक क्षेत्र और तीसरा सेवा क्षेत्र) । यह अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र है जो विभिन्न प्रकार की सेवाएँ उपलब्ध कराता है जैसे संचार, शिक्षा, बैंक, होटल, यातायात इत्यादि।
सेवा क्षेत्र को दो भागों में बाँटा गया है
(i) सरकारी।
(ii) गैर सरकारी।
सरकारी – इसके अंतर्गत केन्द्र अथवा राज्यों की सरकारें अपने कर्मचारियों की नियुक्ति कर विभिन्न प्रकार की सेवाएँ लेती हैं। इसके बदले उनको वेतन प्राप्त होता है जैसे—पुलिस, प्रशासन, रेलवे इत्यादि।
गैर-सरकारी सेवा- सरकार के अलावा अन्य संस्था अथवा निजी संस्थाओं द्वारा उपलब्ध कराए गए रोजगारों को शामिल करते हैं जैसे—इंजीनियरिंग, चिकित्सकीय. कानूनी, शिक्षा सेवा इत्यादि।
“सेवा क्षेत्र का विकास ही घरेलू उत्पाद में विकास का द्योतक है, इससे सर्वाधिक आय की प्राप्ति होती है।
4. सेवा क्षेत्र में सरकारी प्रयास के रूप में क्या किये गए हैं ? वर्णन करें।
उत्तर राष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार के द्वारा रोजगार सृजन करने के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिसका कार्यान्वयन राज्य सरकारों के द्वारा भी किया जा रहा है। सेवा क्षेत्र में सरकारी प्रयास के रूप में कुछ कार्यक्रमों की चर्चा की जाती है, वो इस प्रकार से हैं—ग्रामीण युवा स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम, जवाहर रोजगार योजना इत्यादि। उपर्युक्त सेवाओं के माध्यम से देश की बेरोजगारी की समस्या को दूर करने की कोशिश की जा रही है। सरकारी अनुमानों में यह संभावना व्यक्त की गई है कि करीब 62 प्रतिशत लोगों को उपर्युक्त योजनाओं के द्वारा रोजगार मुहैया कराया जा रहा है। ग्रामीण रोजगार के क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए नरेगा विश्व की सबसे बड़ी योजना है। अब इसे देश के प्रत्येक जिले में लागू कर दिया गया है तथा इसका नया नाम महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम है।
5. वर्तमान आर्थिक मंदी का प्रभाव भारत के सेवा क्षेत्र पर क्या पड़ा ?
उत्तर-एक समय यह कहा जाता था कि जब फ्रांस छिंकता है तो सारे यूरोप को सदी लग जाती है; आज वही स्थिति अमेरिका की है, वहाँ आए आर्थिक मंदी ने सारे संसार को हिला कर रख दिया है। इस मंदी का सबसे बड़ा शिकार भारत का सेवा क्षेत्र है। विकसित राष्ट्रों से तकनीकी वैज्ञानिकों की छंटनी करके रोजगार से मुक्त कर दिया गया है। इसका प्रभाव भारत के उन वैज्ञानिकों पर पड़ा है जो दूसरे राष्ट्र में रोजगार कर रहे थे। अमेरिका में कई बैंक दिवालिया हो गये तथा कितने ही वित्तीय संस्थाओं को बंद करना पड़ा।
भारत के सेवा क्षेत्र पर भी उसका असर देखने को मिला और सबसे ज्यादा सूचना एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में। हमारे इंजीनियर आज भी बाह्य स्रोती में लगे हुए हैं। भारत में कार्यरत अनेक विदेशी कंपनियों ने छंटनी करनी प्रारंभ कर दी। भारत के अन्य क्षेत्रों पर इसका प्रभाव नगण्य रहा, परंतु सेवा क्षेत्र पर इसका प्रभाव सर्वाधिक देखा गया है। यहाँ पर तकनीकी बेरोजगारी सर्वाधिक देखी गई।
6. आर्थिक विकास के विभिन्न क्षेत्रों की विवेचना कीजिए। सेवाक्षेत्र में शिक्षा की क्या भामिका है ?
उत्तर-किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए तीन क्षेत्रों की उपस्थिति महत्त्वपूर्ण हैं।
(i) प्राथमिक क्षेत्र- प्राथमिक क्षेत्र में कृषि व उससे संबंधित क्रियाओं को शामिल किया जाता है, जैसे—फलों का उत्पादन, वनोत्पादन, पशुपालन, मछलीपालन इत्यादि।
(ii) द्वितीयक क्षेत्र- इस क्षेत्र में निर्माण एवं विनिर्माण को सम्मिलित किया जाता है। इसमें छोटे व बड़े उद्योगों की क्रियाओं को शामिल किया जाता है, जैसे विद्युत् उत्पादन, गैस उत्पादन, जलापूर्ति एवं अन्य।
(iii) तृतीयक क्षेत्र/सेवा क्षेत्र– इस क्षेत्र में सेवाओं को सम्मिलित किया जाता है। जैसे—परिवहन, भण्डारण, संचार, होटल एवं व्यापार, बैंकिंग एवं बीमा, लोक प्रशासन एवं सामाजिक सामुदायिक एवं वैयक्तिक सेवाएँ आदि। सेवा क्षेत्र में शिक्षा की भूमिका सेवा क्षेत्र में शिक्षा की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि शिक्षित व्यक्ति इस क्षेत्र में अपने कार्य को सही गति प्रदान करते हैं। क्योंकि शिक्षा लोगों को कौशल सिखाती है। अत: वस्तुओं के उत्पादन में गुणवत्ता की दृष्टि से शिक्षा काफी महत्त्वपूर्ण है। जिस प्रकार एक कारखाने के निर्माण में निवेश करने से परिणाम प्राप्त होते हैं ठीक उसी प्रकार शिक्षा साधनों में निवेश से देश के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण परिणाम प्राप्त होते हैं।
7. विश्व के लिए भारत सेवा प्रदाता के रूप में किस तरह जाना जाता है ? उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर-भारत विश्व में दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है; अत: यहाँ मानव संसाधन सर्वाधिक मात्रा में उपलब्ध हैं।
उदारीकरण के बाद अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में अपने उत्पादों के लिए कारखाने खोले जिसमें सर्वाधिक भारतीयों ने सेवा प्रदान किया। (देश के बाहर भी भारतीय डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक इत्यादि के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं।) बाह्य स्रोती रोजगार के कारण भी भारतीयों को कॉल सेंटर इत्यादि में लाखों की संख्या में रोजगार मिले। भारत में उत्तम एवं सस्ता श्रम उपलब्ध होने के कारण विदेशी कंपनियों का जमघट शुरू हो गया है। विश्व के लिए भारत एक उत्तम सेवा प्रदाता के रूप में जाना जाता है। लगातार विदेशी पूँजी निवेश, कॉल सेंटरों का विस्तार इत्यादि इसके श्रेष्ठ उदाहरण हैं।’
8. संचार सेवाओं के विकास में कम्प्यूटर का क्या योगदान है ?
उत्तर-संचार सेवाओं के विकास एवं प्रसार में कम्प्यूटर का योगदान अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। कम्प्यूटर एक स्वचालित मशीन है जिसके अनेक उपयोग हैं। आज दूरसंचार, परिवहन, विज्ञान, शिक्षा, चिकित्सा, संरक्षा, शोध एवं अनुसंधान आदि के क्षेत्र में कम्प्यूटर का प्रयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। इससे इन सेवाओं के स्तर में सुधार हुआ है। कम्प्यूटर के दो मुख्य अंग होते हैं_सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर। कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर उद्योग श्रम-प्रधान है तथा इसके उत्पादन में भारत विश्व का एक अग्रणी देश माना जाने लगा है। हमारे देश का बेंगलुरु शहर सूचना-प्रौद्योगिकी तथा सॉफ्टवेयर का प्रतीक बन गया है। इस क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएँ हैं।
9. भारत में आउटसोर्सिंग के इतिहास का वर्णन करें।
उत्तर-भारत में आउटसोर्सिंग का इतिहास काफी पुराना है परंतु यह अधिक चर्चा में तब आया जब 1990 के दशक में यह सेवा क्षेत्र में तीव्रता से प्रगति करना प्रारंभ कर दिया। इसकी शुरुआत सेवा क्षेत्र में 1980 के दशक में मानी जा सकती है। आज भारत विश्व सूचना प्रौद्योगिकी में काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। आउटसोर्सिंग शरू में कळ एयरलाईस कंपनियों के लिए प्रारंभ हुआ। बाद में आई०टी० कंपनियों की भरमार हो गई। आज एक टी०सी०एस० और टाटा एंड संस जैसी अग्रणी कंपनियाँ इस क्षेत्र में है। ताजा आकडों के हिसाब से भारतीय आउटसोर्सिंग क्षेत्र में लगभग तीस लाख लोग काम करते हैं और इससे 11 अरब डॉलर राजस्व की प्राप्ति होती है। भारतीय अर्थव्यवस्था में आउटसोर्सिंग उद्योग का इतिहास प्राचीन तो नहीं परंतु अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
Geography ( भूगोल ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1 | भारत : संसाधन एवं उपयोग |
2 | कृषि ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) |
3 | निर्माण उद्योग ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) |
4 | परिवहन, संचार एवं व्यापार |
5 | बिहार : कृषि एवं वन संसाधन |
6 | मानचित्र अध्ययन ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) |
History ( इतिहास ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1 | यूरोप में राष्ट्रवाद |
2 | समाजवाद एवं साम्यवाद |
3 | हिंद-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन |
4 | भारत में राष्ट्रवाद |
5 | अर्थव्यवस्था और आजीविका |
6 | शहरीकरण एवं शहरी जीवन |
7 | व्यापार और भूमंडलीकरण |
8 | प्रेस-संस्कृति एवं राष्ट्रवाद |
Political Science दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1 | लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी |
2 | सत्ता में साझेदारी की कार्यप्रणाली |
3 | लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष |
4 | लोकतंत्र की उपलब्धियाँ |
5 | लोकतंत्र की चुनौतियाँ |
Economics ( अर्थशास्त्र ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1 | अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास |
2 | राज्य एवं राष्ट्र की आय |
3 | मुद्रा, बचत एवं साख |
4 | हमारी वित्तीय संस्थाएँ |
5 | रोजगार एवं सेवाएँ |
6 | वैश्वीकरण ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) |
7 | उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण |