7. उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )
1. “उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 ” की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर – उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 एक महत्त्वपूर्ण अधिनियम है, जिसमें उपभोक्ताओं को बाजार में बेची जानेवाली वस्तुओं के संबंध में संरक्षण का अधिकार दिया गया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दायरे में सभी वस्तुओं, सेवाओं तथा व्यक्तियों, चाहे वह निजी या सार्वजनिक क्षेत्र के, को शामिल किया
जाता है। इसके तहत उपभोक्ताओं को यह जानने का अधिकार प्राप्त है कि वस्तु या सेवा की गणवत्ता. परिणाम, क्षमता, शद्धता. मानक और मूल्य के बार म जानकारी प्राप्त कर सकता है। उसे यह अधिकार भी है कि उसे जो वस्तु या सवा मिल रही है वह खतरनाक तो नहीं है, ताकि वह अपना बचाव कर सकें।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के निम्नलिखित विशेषताएँ हैं
(i) सुरक्षा का अधिकार
(ii) सूचना का अधिकार
(iii) चुनाव या पसंद करने का अधिकार
(iv) शिकायत निवारण या क्षतिपूर्ति का अधिकार
उपभोक्ता को शिकायत होने पर पहले शिकायत “जिला फोरम” में की जाती है। इसके बाद उपभोक्ता संतुष्ट न हो तो फिर मामले को “राज्य फोरम” फिर “राष्ट्रीय फोरम” में ले जाया जा सकता है। फिर भी उपभोक्ता संतुष्ट न हों तो वह आदेश के 30 दिनों के अंदर “उच्चतम न्यायालय” (Supreme court) में अपील कर सकता है।
2. उपभोक्ता के कौन-कौन से अधिकार है ? प्रत्येक अधिकार सोदाहरण लिखें।
उत्तर – उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 6 उपभोक्ता को कुछ अधिकार देती है
(i) सुरक्षा का अधिकार सुरक्षा सभी व्यक्तियों का मौलिक अधिकार है। दैनिक जीवन में हम ऐसी अनेक वस्तओं और सेवाओं का उपयोग करते हैं जो हमारे जीवन या संपत्ति के लिए खतरनाक या हानिकारक हो सकती है। उपभोक्ताओं को इस प्रकार की वस्तुओं के भ्रामक प्रचार, विज्ञापन एवं विपणन के विरुद्ध संरक्षण का अधिकार है। उदाहरण के लिए प्रेशर कुकर का सेफ्टी वाल्व खराब होने से भयंकर दुर्घटना हो सकती है। अतएव, इनकी गुणवत्ता को सुनिश्चित करना निर्माता का दायित्व होता है।
(ii) चयन का अधिकार- उपभोक्ताओं का चयन का अधिकार है। प्रायः इस अधिकार का उल्लंघन उस समय होता है जब किसी वस्तु की आपूर्ति पर किसी एक उत्पादक या विक्रेता का अधिकार होता है। टेलीफोन लाइन, रसोई गैस आदि जैसी वस्तुओं के कुछ थोड़े से विक्रेता हैं। इस प्रकार के विक्रेता प्रायः अनावश्यक शर्ते लगाकर उपभोक्ताओं को परेशान करते हैं। उदाहरण के लिए एक गैस का विक्रेता नया कनेक्शन देते समय उसके साथ चूल्हा खरीदने के लिए शर्त लगा रहता
(iii) सूचना का अधिकार- उपभोक्ताओं को वस्तुओं या सेवाओं के संबंध में सही सूचना अथवा जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है। अनेक अवसरों पर उत्पादक अपनी वस्तुओं के मूल्य, गुणवत्ता, टिकाऊपन, स्वास्थ्य पर उनके प्रभाव इत्यादि के संबंध में गलत या भ्रामक जानकारी देकर उपभोक्ताओं को धोखे में डाल देते हैं। उदाहरण के लिए. यदि कोई विक्रेता अपनी दवा या खाद्य एवं पेय पदार्थ पर उसके खराब होने की अंतिम तिथि की जानकारी नहीं देता है तो उपभोक्ता उसकी शिकायत. कर सकते हैं।
(iv) निवारण का अधिकार- उपभोक्ताओं को निवारण का अधिकार प्राप्त है जिसके अन्तर्गत उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा हो सके। सरकार द्वारा विभिन्न माध्यमों से उपभोक्ताओं को जागरूक बनाने के लिए सतत् प्रयास किया जा रहा है। यह अधिकार लोगों को यह आश्वासन देता है कि खरीदी गई वस्तु या सेवा उचित ढंग की नहीं है तो उसे मुआवजा दिया जाने का प्रावधान हो। उदाहरण के लिए गोपी बाजार से एक इलेक्ट्रिक आयरन खरीदता है और उसे प्रेस करते समय बिजली का झटका लगता है तो यह इस खराब सामान के लिए विक्रेता के विरुद्ध उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कर निवारण कर सकता है।
3. एक उपभोक्ता अपनी शिकायत किस प्रकार दर्ज करा सकता है ? समझावें।
उत्तर – प्रत्येक उपभोक्ता को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत अपनी शिकायत को उपभोक्ता फोरम में रखने का अधिकार प्रदान किया गया है।
इसके अनुसार उपभोक्ता अपनी शिकायत को एक सादे कागज पर विस्तृत विवरण जिनमें निम्नलिखित बातों का उल्लेख हो प्रस्तुत करता है
(i) शिकायतकर्ताओं एवं विपरीत पार्टी का नाम तथा पता।
(ii) शिकायत संबंधित तथ्य एवं घटना का विवरण।
(iii) शिकायतों में बताये गए आरोपों के समर्थन में दस्तावेज।
(iv) शिकायत पर शिकायतकर्ताओं अथवा उसके प्राधिकृत एजेंट के हस्ताक्षर।
उसके बाद इसके ऊपर कार्यवाही की शुरुआत होती है।
4. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 क्या है ?
उत्तर – उपभोक्ता के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया एक कानन है, जो सन 1986 में लागू किया गया था। इसके अंतर्गत धारा में उपभोक्ताओं को निम्न अधिकार प्रदान किए गए हैं
(i) सुरक्षा का अधिकार,
(ii) सूचना पाने का अधिकार,
(iii) चनने तथा पसंद करने का अधिकार
(iv) सुनवाई का अधिकार,
(v) शिकायत निवारण या क्षतिपूर्ति का अधिकार तथा
(vi) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार।
5. दो उदाहरण देकर उपभोक्ता जागरूकता की जरूरतों का वर्णन करें।
उत्तर – उपभोक्ता जागरण की आवश्यकता अनेक अवसरों पर महसूस का जाती है जैसे
(i) शिक्षण संस्थान अपने लुभावने प्रचारों के माध्यम से छात्रों को आकर्षित करते हैं परंत वास्तव में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं होती। कई बार समय पर पाठ्यक्रम भी पूर्ण नहीं हो पाते। यदि उपभोक्ता जागरूक है तो इसकी शिकायत एवं निवारण संभव है।
(ii) डॉक्टरों के द्वारा मरीज देखते समय फीस के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं दी जाती जिसकी वजह से मरीजों का खुब शोषण होता है। यदि वे अपने अधिकारों के प्रति सजग हो जाएँ तो डॉक्टरों के फीस की जानकारी भी ईलाज द्वारा (उन पर कार्रवाई) उपभोक्ता फोरम के माध्यम से हो सकती है। सन् 1995 में सर्वोच्च न्यायालय ने चिकित्सा व्यवसाय को भी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत एक सेवा घोषित कर दिया है।
6. उपभोक्ता संरक्षण हेतु सरकार द्वारा गठित न्यायिक प्रणाली (त्रिस्तरीय प्रणाली) को विस्तार से समझाएँ।
उत्तर – इसके अंतर्गत जो त्रिस्तरीय न्यायिक प्रणाली है वह इस प्रकार से हैं
(i) राष्ट्रीय आयोग – यह राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करती है। यह उन मामलों पर सीधी सुनवाई करती है जो एक करोड़ से अधिक का हो।
(ii) राज्य स्तरीय आयोग- यह प्रत्येक राज्य में स्थित है यह 20 लाख से 1 करोड़ तक के दावों की सीधी सुनवाई करती है।
(iii) जिला स्तर पर जिला मंच’ (फोरम)- इसकी व्यवस्था प्रत्येक जिले में की गई है, यह 20 लाख रुपये से कम के मामलों की सुनवाई करती है। यदि किसी स्थिति में कोई उपभोक्ता राष्ट्रीय फोरम के फैसले से भी संतुष्ट नहीं है तो राष्ट्रीय आयोग के फैसले के 30 दिनों के भीतर उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है।
7. उपभोक्ता के कर्तव्य क्या-क्या है? अथवा, उपभोक्ता के कर्तव्यों के बारे में लिखें।
उत्तर – उपभोक्ता जब कोई वस्तु खरीदता है तो यह आवश्यक हो जाता है कि वह वस्तु की रसीद ले एवं वस्तु की गुणवत्ता ब्रांड, मात्रा, शुद्धता, मानक, नाप-तौल निर्माण की तिथि, उपभोग की अंतिम तिथि गारंटी। वारंटी पेपर गुणवत्ता का निशान जैसे—ISI, एगमार्क, बुलमार्क, हॉलमार्क और मूल्य की दृष्टि से किसी प्रकार के टोष अपर्णता पाते हैं तो सेवाएँ लेते समय अतिरिक्त सर्तकता एवं जागरूकता रखें। उपभोक्ता के साथ फोरम होता है अतः गलत वस्तु सेवा के लिए शिकायत करने में हिचकिचाना नहीं चाहिए। क्योंकि शिकायत की प्रक्रिया, आसान, मामूली खर्च एवं जल्दी न्याय पर आधारित है। यदि 20 लाख से कम क्षतिपूर्ति है तो जिला फोरम में जाया जाता है। यदि यह 20 लाख से अधिक लेकिन एक करोड रु० से कम है तो राज्य आयोग के समक्ष। यदि एक करोड़ रु० से अधिक है तो राष्ट्रीय आयोग के समक्ष जा सकते हैं। इस तरह उपभोक्ता का जागरूक होना एवं अपने कर्तव्य पहचानना ही शोषण से मुक्ति दिलाना है।
8. उपभोक्ताओं के निवारण के अधिकार का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – प्रत्येक उपभोक्ता को निवारण का अधिकार प्राप्त है जिसके अंतर्गत उसके हितों की रक्षा होती है। यह अधिकार प्रत्येक उपभोक्ता को यह आश्वासन देता है कि खरीदी गई वस्तु या सेवा उचित ढंग की नहीं है तो उसे मुआवजा दी जाए। इसके लिए भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 बनाया गया है जिसके अंतर्गत प्रत्येक उपभोक्ता को यह अधिकार प्राप्त है की शोषण के विरुद्ध वह निवारण हेतु उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कर न्याय प्राप्त कर सके।
9 भारत में उपभोक्ता आंदोलन की प्रगति की समीक्षा करें।
उत्तर – स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात खाद्यान्न की अत्यधिक कमी होने के कारण जमाखोरी और कालाबाजारी बहुत बढ़ गई थी। अत्यधिक लाभ कमाने के लालच में उत्पादक एवं विक्रेता खाद्य पदार्थों एवं खाद्य तेल जैसी वस्तुओं में मिलावट भी करने लगे थे। इसके विरोध में हमारे देश में उपभोक्ता आंदोलन एक संगठित रूप में प्रारंभ हुआ। सार्वजनिक वितरण प्रणाली का संचालन बहुत दोषपूर्ण था। राशन दुकानों के विक्रेता प्रायः उपभोक्ताओं को निर्धारित मात्रा में तथा उचित समय पर वस्तुओं की आपूर्ति नहीं करते थे और कई प्रकार की मनमानी करते थे। उपभोक्ता संगठनों ने इनपर निगरानी रखना और अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज करना प्रारंभ किया। ये संगठन अन्य सार्वजनिक सेवाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार का भी विरोध करने लगे थे। विगत वर्षों के अंतर्गत देश में उपभोक्ता संगठनों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है और इन्होंने उपभोक्ताओं को जागरूक बनाने का प्रयास किया है। इनके प्रयासों के फलस्वरूप इस आंदोलन ने व्यापारिक संस्थानों तथा सरकार दोनों को अनुचित व्यवसाय व्यवहार में सुधार के लिए बाध्य किया है। देश में एक व्यापक उपभोक्ता आंदोलन को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने भी कई उपाय किए हैं। इस दृष्टि से सरकार द्वारा 1986 में पारित उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। यह एक अत्यंत प्रगतिशील एवं व्यापक कानन है। हमारा देश विश्व के उन चुने हुए देशों में है जहाँ उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए विशेष उपभोक्ता न्यायालय स्थापित किए गए हैं। पिछले कछ वर्षों में उपभोक्ता आंदोलन की प्रगति अवश्य हुई है, लेकिन इसकी गति बहुत धीमी है। अभी देश में 700 से भी अधिक गैर-सरकारी उपभोक्ता संगठन हैं, लेकिन इनमें बहुत थोड़े-से ही मान्यताप्राप्त हैं। सरकार इन्हें संगठित करने के लिए प्रयासरत है तथा मान्यताप्राप्त उपभोक्ता संरक्षण संगठनों को आर्थिक सहायता भी प्रदान करती है।
10. सूचना के अधिकार कानून से आप क्या समझते हैं ? समझावें।
उत्तर – सूचना के अधिकार का अर्थ है – कोई भी व्यक्ति अभिलेख, ई-मेल द्वारा निर्गत आदेश, दस्तावेज, नमूने और इलेक्ट्रॉनिक आँकड़ों आदि के रूप में ऐसी प्रत्येक सूचना प्राप्त कर सकता है जिसकी उसे आवश्यकता हो। यह वर्ष 2005 में एक कानून के तहत पूरे देश में लागू कर दिया गया। इसके अंतर्गत जिस व्यक्ति को ऐसी कोई भी सूचना प्राप्त करनी हो तो वह लोक सूचना अधिकारी के पास आवेदन कर सकता है। आवेदन प्राप्ति के 30 दिनों के भीतर और विशेष परिस्थिति में 48 घंटों के भीतर संबंधित व्यक्ति को सूचना उपलब्ध करवाया जाता है। यदि कोई पदाधिकारी सूचना उपलब्ध नहीं कराता है तो नियमानुसार उसके ऊपर कार्रवाई की जाती है। यह आम जनता के हाथों में एक बड़ी शक्ति है जो लोकतंत्र की स्वच्छ छवि को दर्शाता है।
11. ‘मानवाधिकार’ के महत्त्वों को समझावें।
उत्तर – मानव को कुछ अधिकार जन्म से ही प्राप्त हो जाते हैं जैसे स्वतंत्रता का अधिकार, अभिव्यक्ति का अधिकार, न्याय पाने का अधिकार इत्यादि. इसे मानवाधिकार की संज्ञा देते हैं। मानव अधिकार सुरक्षा अधिनियम, 1993 के अंतर्गत एक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश को इसका अध्यक्ष बनाया जाता है। बिहार राज्य मे भी मानव अधिकार आयोग की स्थापना हुई है। ये अधिकार किसी भी लोकतांत्रिक गणराज्य के लिए अति आवश्यक है क्योंकि इसके बिना मानव के उच्च कोटि अथवा सामान्य जीवन की कल्पना भी नहीं हो सकती।
12. आप किसी खाद्य पदार्थ को खरीदते हैं तो किन-किन बातों पर ध्यान देंगे ? बिन्दुवार उल्लेख करें।
उत्तर – किसी खाद्य पदार्थ को खरीदते समय निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए
(i) सबसे पहले उसके निर्माण की तिथि,
(ii) उसके बाद एक्सपायरी की तिथि,
(iii) मूल्य,
(iv) यदि कोई स्कीम हो तो उसे,
(v) वह किन-किन पदार्थों से मिल कर बना है तथा
(vi) उस पर कौन-सा मार्का अंकित है जैसे शाकाहारी खाद्य पदार्थ पर हरे एगमार्का अंकित रहते हैं।
इसके बाद भी यदि मुझे कोई शंका होती है तो उसकी जानकारी तुरंत दुकानदार से लूँगा तथा संभव हो तो उचित रसीद खरीद के तुरंत बाद प्राप्त करूँगा।
Geography ( भूगोल ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1 | भारत : संसाधन एवं उपयोग |
2 | कृषि ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) |
3 | निर्माण उद्योग ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) |
4 | परिवहन, संचार एवं व्यापार |
5 | बिहार : कृषि एवं वन संसाधन |
6 | मानचित्र अध्ययन ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) |
History ( इतिहास ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1 | यूरोप में राष्ट्रवाद |
2 | समाजवाद एवं साम्यवाद |
3 | हिंद-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन |
4 | भारत में राष्ट्रवाद |
5 | अर्थव्यवस्था और आजीविका |
6 | शहरीकरण एवं शहरी जीवन |
7 | व्यापार और भूमंडलीकरण |
8 | प्रेस-संस्कृति एवं राष्ट्रवाद |
Political Science दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1 | लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी |
2 | सत्ता में साझेदारी की कार्यप्रणाली |
3 | लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष |
4 | लोकतंत्र की उपलब्धियाँ |
5 | लोकतंत्र की चुनौतियाँ |
Economics ( अर्थशास्त्र ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1 | अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास |
2 | राज्य एवं राष्ट्र की आय |
3 | मुद्रा, बचत एवं साख |
4 | हमारी वित्तीय संस्थाएँ |
5 | रोजगार एवं सेवाएँ |
6 | वैश्वीकरण ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) |
7 | उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण |