2. सत्ता में साझेदारी की कार्यप्रणाली ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )
1. भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर- भारतीय संविधान की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –
(i) लिखित एवं विशाल संविधान- भारत का संविधान लिखित एवं विश्व का सबसे बड़ा संविधान है। इसमें 450 (444) के आसपास अनुच्छेद, 22 भाग एवं 17 अनसचियाँ हैं। इसकी विशालता का अंदाजा दूसरे देशों के संविधान से तुलना करने पर लगता है, जैसे—संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान में 7 तथा चीन के संविधान में 106 अनुच्छेद ही है।
(ii) कठोर एवं लचीलापन- भारतीय संविधान की एक अन्य विशेषता है कठोरता एवं लचीलापन का अद्भुत मेल। यह न तो अमेरिका के संविधान की तरह कठोर है और न ही ब्रिटेन के संविधान की तरह लचीला। संविधान के कुछ अनुच्छेदों को संशोधन द्वारा समय-समय पर और लचीला बनाया गया है तथा बनाया भी जा सकता है, जैसे—नयेराज्यों का निर्माण, राज्यों में विधान परिषद् की स्थापना, या समाप्ति लचीलापन का ही उदाहरण है। दूसरा अनुच्छेद हैजिनमें संशोधन की प्रक्रिया जटिल है।
(iii) संघात्मक और एकात्मक शासन का समन्वय- भारतीय शासन की अन्य व्यवस्था संघात्मक लक्षण है, जैसे-केन्द्र व राज्यों में शक्ति बँटवारा, लिखित कठोर और सर्वोच्च संविधान, स्वतंत्रता तथा सर्वोच्च न्यायपालिका, जो संविधान की रक्षा और व्यवस्था कर सके।
(iv) संसदीय प्रणाली- भारतीय संविधान की एक अन्य विशेषता संसदीय प्रणाली भी है। संसदीय व्यवस्था में कार्यपालिका का अध्यक्ष नाममात्र का होता है और वास्तविक शक्तियाँ मंत्रिमंडल के पास होती हैं तथा मंत्रिमंडल का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है। भारत में राष्ट्रपति का निर्वाचन जनप्रतिनिधियों द्वारा होता है।
(v) मौलिक अधिकार- यह भी भारतीय संविधान की महत्त्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है। मौलिक अधिकार व्यक्ति के विकास के लिए दिए जाते हैं और इनके माध्यम से सरकार की शक्तियों को सीमित किया जाता है। अमेरिका के समान भारतीय संविधान में नागरिकों को निम्नलिखित छह मौलिक अधिकार दिए गए है –
(क) समानता का अधिकार,
(ख) स्वतंत्रता का अधिकार, ,
(ग) शोषण के विरुद्ध अधिकार,
(घ) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार,
(ङ) संस्कृति एवं शिक्षा का अधिकार, ‘
(च) संविधानिक उपचार का अधिकार,
(vi) नीति निर्देशक तत्त्व- भारत में सामाजिक व आर्थिक न्याय की स्थापना के लिए संविधान के भाग iv में अनुच्छेद-36 से 51 तक में नीति निर्देशक तत्त्व का वर्णन है। ये नागरिकों के अधिकार नहीं हैं और न इन्हें न्यायालय द्वारा लागू किया जा सकता है।
(vii) वयस्क मताधिकार- यह भी संविधान की महत्त्वपूर्ण विशेषता है। विश्व के अन्य किसी देश में वयस्क मताधिकार एक साथ नहीं दिया गया है। यहाँ तक कि इंगलैंड व स्विट्जरलैंड जैसे देशों में यह अधिकार बहुत बाद में दिया गया। वयस्क मताधिकार का अर्थ है—18 वर्ष या इससे अधिक आयु वाले सभी नागरिकों को मत देने का अधिकार। भारतीय संविधान की उपर्युक्त विशेषताओं से स्पष्ट होता है कि संविधान निर्माताओं ने भारत के लिए एकऐसा संविधान तैयार किया है, जो भारत को लोकहितकारी तथा धर्मनिरपेक्ष राज्य बनाता है।
2. आप कैसे कह सकते हैं कि भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है ? समझावें।
उत्तर- भारत ने प्रारंभ से ही धर्म निरपेक्षता के सिद्धान्त को अपनाया है। स्वतंत्रता आंदोलन के विभिन्न चरणों में भी देश के भीतर धार्मिक भेदभाव की जगह आपसी भाईचारा देखने को मिला। निम्नलिखित तथ्य इन तथ्यों का स्पष्ट करत ह—
भारत के पास कोई राजधर्म नहीं है। यह प्रत्येक धर्म का समान रूप से बढ़न का अवसर प्रदान करता है। इसके लिए मौलिक अधिकार भी प्रदान किए गए हैं। भारतीय संविधान के प्रस्तावना में भी इसका उल्लेख मिलता है। भारतीय नागरिक चाहे हिंद हो या मसलमान, सिक्ख हो या ईसाई सभी के अंदर राष्ट्रीयता की भावना देखी जाती है। दश क भीतर धर्म के आधार पर किसी भी प्रकार से भेदभाव करना निषध है। धम निरपक्षता के कारण ही हमारी राष्टीय एकता कायम है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है।
3. सत्ता में भागीदारी के मुख्यत: चार रूप कौन से हैं ? समझावें।
उत्तर- सत्ता में भागीदारी के मुख्यतः चार रूप देखने को मिलते हैं.
(i) सरकार के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का विभाजन। यह कार्यपालिका. विधायिका तथा न्यायपालिका में विभक्त है। इससे सरकार के तीनों अंगों के बीच नियंत्रण एवं संतुलन बना रहता है।
(ii) विभिन्न स्तरों पर गठित सरकारों के बीच सत्ता का विभाजन होता है। सामान्य तौर पर शासन-व्यवस्था तीन स्तर पर होती है.. राष्ट्र स्तर पर केंद्र सरकार, प्रांत या क्षेत्रीय स्तर पर राज्य सरकार तथा स्थानीय स्तर पर पंचायती राज।
(iii) विभिन्न समुदायों के बीच सत्ता का विभाजन- लोकतंत्र में धर्म, जाति, भाषा इत्यादि के आधार पर उन्हें मुख्यत: दो वर्गों में बाँटा गया है. बहुसंख्यक एवं अल्पसंख्यक। सत्ता का बँटवारा इस प्रकार से किया जाता है कि दोनों समूहों के बीच एकता कायम रह। ।
(iv) गैर सरकारी संस्था में सत्ता का विभाजन- सत्ता के विभाजन का एक अन्य रूप भी देखने को मिलता है। गैर-सरकारी संस्थाएँ भी सत्ता में भागीदारी के लिए प्रयत्नशील रहती हैं। किसी भी देश में राजनीतिक दल, हित समूह, संघ या संगठन भी अपने प्रभाव से सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित कर लेते हैं।
4. गठबंधन की सरकारों में सत्ता के साझेदार कौन-कौन होते हैं ?
उत्तर- जब किसी एक राजनैतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हो पाता तो वह विभिन्न राजनीतिक दलों की
सहायता से सरकार का गठन करता है। ऐसी सरकारें गठबंधन की सरकार कहलाती हैं। गठबंधन की सरकारों में सत्ता के साझेदार व समस्त राजनैतिक दल हो जाते हैं जो सरकार बनाने में इतनी मदद करते हैं कि किसी दल विशेष को बहुमत प्राप्त हो जाए। इसमें सबसे अधिक बोलबाला क्षेत्रीय दलों/निर्दलीय का हो जाता है क्योंकि इनकी संख्या सर्वाधिक है और सरकार के निर्माण में इनकी भूमिका सबसे ज्यादा होती है। गठबंधन में शामिल समस्त दलों के सदस्य सत्ता में साझेदारी के लिए मंत्रीपद की माँग प्रारंभ कर देते हैं। सरकार बनाने वाली गठबंधन समस्त दलों की संतुष्टि के साथ साझेदारी का प्रयास करती है।
5. संघात्मक शासन-व्यवस्था के कौन-कौन प्रमुख लक्षण हैं? क्या भारत के लिए यह व्यवस्था उपयुक्त है? .
उत्तर- संघात्मक शासन-व्यवस्था के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं
(i) लिखित संविधान- लिखित संविधान संघात्मक सरकार का एक अनिवार्य लक्षण है। लिखित संविधान होने से केंद्र और राज्य सरकारों का कार्यक्षेत्र स्पष्ट किया जा सकता है।
(ii) कठोर संविधान- कठोर संविधान होने से कोई सरकार अपने हित में सरलता से संशोधन नहीं कर सकती है। संविधान में संशोधन के लिए एक विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती है जो संघीय सरकार के हित में हैं।
(iii) संविधान की सर्वोच्चता- संविधान की सर्वोच्चता से संघीय पद्धति की रक्षा होती है। कोई भी सरकार अपने को सर्वोच्च नहीं समझ सकती, क्योंकि संविधान
का उसपर अंकुश बना रहता है।
(iv) शक्तियों का विभाजन- संघीय सरकार में संविधान द्वारा ही केंद्र और सरकार के बीच शक्तियों का विभाजन कर दिया जाता है। इससे दोनों सरकारें अपने-अपने क्षेत्र में स्वतंत्रतापूर्वक कार्य करती रहती है।
(v) स्वतंत्र न्यायपालिका- संघीय सरकार में न्यायपालिका ही सांविधान का होती है। केंद्र और राज्य दानों सरकारों की संविधान के विरुद्ध कार्य करने ही होता है। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संविधानिक विवादों का अधिकार नहीं होता है। केंद्र और गल का निबटारा वही करती है।
उपर्युक्त सभी तत्त्व भारतीय संविधान में वर्तमान हैं। यहाँ भी एक लिखित. निश्चित और स्पष्ट संविधान है, जो कठोर है। संविधान में संशोधन के लिए एक विशेष प्रक्रिया है। संविधान की सर्वोच्चता मान ली गई है। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन कर दिया गया है। इसी उद्देश्य से तीन सुचियाँ बनाई गई हैं—संघ सूची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची। एक स्वतंत्र न्यायपालिका की भी स्थापना की गई है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय को संविधान का संरक्षक बना दिया गया है। भारत विविधताओं वाला देश है। यहाँ विभिन्न प्रदेश, भाषा और धर्म के लोग निवास करते हैं। अत: भारत के लिए संघीय शासन-व्यवस्था ही सबसे अधिक उपयुक्त है।
6. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के विषय में लिखें।
उत्तर- भारतीय संविधान की धारा (अनुच्छेद) 19 के द्वारा नागरिकों को निम्नलिखित स्वतंत्रता संबंधी अधिकार प्रदान किये गये हैं
(i) भाषण और विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
(ii) शांतिपूर्ण और बिना हथियार के एकत्रित हान की स्वतंत्रता।
(iii) संगठन या संघ बनाने की स्वतंत्रता।
(iv) भारत के किसी भी भाग में निवास या बसन की स्वतंत्रता। ।
(v) कोई वृत्ति या पशा या व्यापार करने की स्वतंत्रता।
(vi) भारत राज्य क्षेत्र में अवाध आन-जाने को स्वतंत्रता।
7. धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान की अनुपम विशेषता है। कैसे ?
उत्तर- धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषता है। भारतीय संविधान ने धर्मनिरपेक्षता के लिए निम्नलिखित अनुबंध निर्धारित किए हैं।
(i) भारत का कोई राष्ट्रीय धर्म नहीं है।
(ii) हर नागरिक को अपना धर्म, पूजा पद्धति स्वीकार करने की इजाजत भारतीय संविधान देता है।
(iii) किसी भी धर्म को प्राथमिकता नहीं दी जायेगी।
(iv) कोई भी व्यक्ति शांतिपूर्ण ढंग से अपने धर्म का प्रचार-प्रसार कर सकगा।
(v) धार्मिक आधार पर भारतीय संविधान किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करता है।
8. लैंगिक विभेद का राजनीति पर पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन करें। .
उत्तर- लैंगिक विभेद का अर्थ है, समाज का लिंग (महिला तथा पुरुषाके आधार पर बँटवारा। आज समाज में लगभग 48% स्त्रियाँ हैं। प्रारंभ में उन्हें पुरुषों के बराबर अधिकार प्राप्त थे, परंतु धीरे-धीरे उनकी दशा खराब होती चली गई। लैंगिक विभेद के कारण आज विश्वभर में राजनीति में स्त्रियों का प्रतिनिधित्व कम है। अमेरिका में 20.2%, यूरोप में 19.6% तथा एशिया के देशों का औसत मात्र 11.7% है। भारत में भी लोकसभा में सिर्फ 11% और राज्यसभा में 9.3% महिलाएँ हैं। वर्ष 2007 में पहली बार देश में कोई महिला राष्ट्रपति बनी और 2009 में भी पहली बार एक महिला, श्रीमती मीरा कुमार लोकसभा की स्पीकर बनी। लैंगिक विभेद के कारण जो प्रतिनिधित्व की कमी होती है उससे उनके समस्याओं को बेहतर ढंग से रखा नहीं जा रहा है। आज भी 33% आरक्षण की माँग जारी है।
जब तक लैंगिक आधार पर राजनैतिक भेदभाव जारी रहेगा। स्त्रियाँ अपने आत्मसम्मान, स्वावलंबन एवं समस्याओं का हल प्राप्त नहीं कर पाएँगी।
9. जाति की राजनीति पर होने वाले प्रभावों की चर्चा करें।
उत्तर- लोकतांत्रिक व्यवस्था में जाति की भूमिका सदैव ही महत्त्वपूर्ण रही हैं। निर्वाचन की राजनीति में जाति की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। भारतीय सामाजिक समस्याओं में जातिवाद की समस्या सबसे प्रमुख है। आज संपूर्ण राष्ट्र जातिवाद का शिकार बना हुआ है। विभिन्न प्रकार से इन जातियों का राजनीति पर प्रभाव देखने को मिलता है
(i) राजनीतिक दल अपने-अपने जाति आधारित वोट बैंकों का ख्याल रखते हुए उम्मीदवारों का चयन करते हैं।
(ii) सरकार बनाने के समय भी सत्तारूढ़ दल अपने प्रान्त या राष्ट के जाति आधारित प्रतिनिधित्व का पूरा ख्याल रखते हैं।
(iii) पिछड़ी जातियों का लगातार राजनीति में रुचि बढ़ती जा रही है, क्योंकि का मानना है कि बिना सत्ता हासिल किए उनका कल्याण संभव नहीं।
(iv) राजनीतिक दल भी चुनावों के समय जाति आधारित भावनामा
उकसाने का प्रयास करते रहते हैं। जिनसे उनके पार्टी की ओर ज्यादा से ज्यादा लोगों का ध्यान आकर्षित हो और अधिक से अधिक वाटा का प्राप्ति हो सके।
(v) जाति के भीतर ही राजनीति शरू हो गई है। अब एक ही जाति के भीतर अलग-अलग सदस्यों के बीच मतभेद प्रारंभ हो गया है। अब सत्ता की प्राप्ति मुख्य लक्ष्य बन गया है। सत्ता प्राप्ति के प्रश्न पर सवर्ण और दलितों के मध्य भी क्षणमात्र में मित्रता हो जाती है।
10. दबाव समह किस तरह से सरकार को प्रभावित कर सत्ता में साझेदार बनते हैं ?
उत्तर- दबाव समूह वह सामाजिक समह है जो सरकार बनाने में सीधे तौर पर शामिल नहीं होता परंतु अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विभिन्न प्रकार से दबाव कायम रखता है।
(i) दबाव समूह किसी खास समह के प्रतिनिधि के रूप में अपना पक्ष रखता है जैसे फिक्की (फेडेरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज) जैसी संस्थाएँ जो कि दबाव समूह के रूप में कार्यरत है वो उद्योग जगत के विभिन्न मसलों को सरकार के सामने रखते हैं।
(ii) सरकार भी दबाव समूहों के साथ सत्ता की साझेदारी के लिए अनेक अधिकार प्रदान करती है।इनसे समय-समय पर बैठक कर इनके माँगों पर विचार किया जाता है।
(iii) कुछ दबाव समूह जैसे एंटक (ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस) हड़ताल एवं तालाबंदी द्वारा अपने मजदूर भाइयों की माँग को मनवाने के लिए सरकार पर दबाव डालते हैं।
11. ग्राम कचहरी के गठन एवं शक्ति का वर्णन करें।
उत्तर- विहार में प्रत्येक ग्राम पंचायत में न्यायिक कार्यों को निपटाने के लिए ग्राम कचहरी की स्थापना की गई है। ग्राम कचहरी में एक सरपंच होता है, जो ग्राम पंचायत के वयस्क मतदाता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होता है और ग्राम पंचायत में प्रत्येक 500 की आबादी पर एक पंच का निर्वाचन वयस्क मतदाता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से होता है। सरपंच एवं पंच की चुनाव में भी आरक्षण की व्यवस्था की गई है। यह आरक्षण व्यवस्था ग्राम पंचायत के सदस्यों के लिए निर्धारित आरक्षण व्यवस्था के अनुसार होता है। प्रत्येक कचहरी का कार्यकाल अपनी प्रथम बैठक से 5 वर्षों के लिए होता है। इस तरह सरपंच एवं पंचों का कार्य अवधि ग्राम कचहरी के कार्यकाल तक होता है। इसमें पहले सरपंच या पंच स्वयं स्वेच्छा से जिला पंचायती राज पदाधिकारी को आवेदन देकर पद त्याग कर सकता है या उसे अविश्वास प्रस्ताव के द्वारा हटाया भी जा सकता है।
ग्राम कचहरी की दीवानी एवं फौजदारी दोनों क्षेत्रों में अधिकार प्राप्त है। दस हजार रुपये तक के दीवानी मुकदमें सुनने का अधिकार ग्राम कचहरी को प्राप्त है। फौजदारी मामले में ग्राम कचहरी को अधिकतम तीन माह की सजा तथा एक हजार रुपये तक जुर्माना और उसका उल्लंघन होने पर अधिकतम 15 दिनों का साधारण कारावास देने का अधिकार है। ग्राम कचहरी में एक न्याय मित्र होता है जो सरपंच के कार्यों में सहयोग देता है, जबकि न्याय सचिव ग्राम कचहरी के कागजातों को संभालता है।
12. ग्राम पंचायत के कार्यों एवं शक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर- ग्राम पंचायत स्थानीय शासन की सबसे महत्त्वपूर्ण इकाई है। ग्राम पंचायत के अधीन 29 महत्त्वपूर्ण विषय रखे गये हैं जिसे ग्राम पंचायत को करने पडते हैं। कुछ महत्त्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं
(i) पंचायत क्षेत्र के विकास के लिए वार्षिक योजना तैयार करना
(ii) प्राकृतिक आपदा के समय लोगों की सहायता करना
(iii) कृषि एवं बागवानी का विकास
(iv) पेयजल की व्यवस्था करना
(v) सड़क, भवन, पुलिया, नाली आदि का निर्माण करना
(vi) सार्वजनिक स्थानों पर प्रकाश की व्यवस्था करना र शिक्षा के क्षेत्र में प्राथमिक, माध्यमिक, वयस्क एवं अनौपचारिक शिक्षा का विकास करना
(viii) बाजार, मेले, शौचालय आदि की व्यवस्था करना
(ix) सामुदायिक कार्यों में सहयोग प्रदान करना
शक्तियाँ –
(i) ग्राम पंचायत कुछ संपत्ति अर्जन कर सकती है।
(ii) ग्राम पंचायत कुछ टैक्स भी लगा सकती है। जैसे—जल टैक्स, मेले, हाट-बाजार आदि का टैक्स
(iii) ग्राम पंचायत राज्य वित्त आयोग की सिफारिश पर संचित निधि से अनुदान भी प्राप्त कर सकता है।
13. नगर निगम की आय के प्रमुख साधनों को बताइए।
उत्तर- नगर निगम की आय के प्रमुख साधन निम्नांकित हैं
(i) गृहकर- नगर निगम गृह-स्वामियों से उनकी जायदाद के कर के मूल्य का एक निश्चित प्रतिशत गृहकर के रूप में वसूल करता है।
(ii) जलकर- नगर निगम मकान तथा दूकान के कर मूल्य का निर्धारित प्रतिशत लगभग 3 प्रतिशत जलकर के रूप में उसके मालिकों से वसूल करता है।
(iii) मनोरंजन कर- नगर निगम द्वारा विभिन्न सिनेमाघरों, नाट्यशालाओं, थियेटरों, संगीत-सम्मेलनों, सर्कस आदि मनोरंजन के साधनों पर कर लगाया जाता है। मनोरंजन कर नगर निगम की आय का एक प्रमुख साधन है। इसके अतिरिक्त विज्ञापन संबंधी बैनर, होर्डिंग्स, साईनबोर्ड आदि के लिए भी कर की वसूली की जाती है।
14. नगर निगम के मुख्य कार्यो का वर्णन करें।
उत्तर- नगर निगम के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं
(i) सड़कों पर रोशनी, नाली, गली एवं सड़क की सफाई का प्रबंध करना
(ii) प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षा की व्यवस्था करना तथा पुस्तकालय एवं वाचनालय का प्रबंध करना ।
(iii) निगम के द्वारा अस्पताल एवं दवाखाना का प्रबंध करना
(iv) श्मशानों, बुचड़खानों एवं बाजार-हाट का प्रबंध करना
(v) जन्म-मृत्यु का पंजीकरण करना
(vi) शौचालय, पेशाबखाना, पार्क, मनोरंजन गृह, धर्मशाला, रैन बसेरा का . प्रबंध करना
(vii) लोगों के लिए शुद्ध पेय जल उपलब्ध करना।
15. नगर निगम की व्यवस्था किस प्रकार के शहरों में की जाती है ? इसके प्रमुख अंगों की चर्चा करें।
उत्तर- जिस शहर की जनसंख्या तीन लाख अथवा उससे अधिक होती है वैसे शहरो मे नगर निगम की व्यवस्था की जाती है। ये राज्यों में नगरों की स्थानीय शासन-व्यवस्था देखते हैं। पटना नगर निगम इसका उदाहरण है। नगर निगम के प्रमुख अंग इस प्रकार से हैं
(i) निगम परिषद- इसका निर्माण नगर निगम क्षेत्र के विभिन्न वार्ड के कौंसिलरों के द्वारा होता है, जिनका कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है। इसमें सदस्यों के बीच से एक महापौर तथा एक उपमहापौर का चयन किया जाता है। महापौर नगर का प्रथम नागरिक माना जाता है। महापौर की अनुपस्थिति में नगर परिषद का कार्य उपमहापौर के द्वारा सम्पन्न किया जाता है।
(ii) सशक्त स्थानीय समिति- यह नगर निगम का दूसरा सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है। इसकी अध्यक्षता महापौर के द्वारा की जाती है। यह कुछ कर्मचारियों की नियुक्ति करने के अलावे नगर आयुक्त पर भी निगरानी रखती है।
(iii) परामर्शदात्री समितियाँ- ये समितियाँ शिक्षा, बाजार, उद्यान समिति इत्यादि में बँटी होती हैं जो अपने-अपने विषयों पर नगर निगम को सलाह देती हैं।
(iv) नगर आयुक्त- इसकी नियक्ति सरकार स्वयं करती है। ये भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई०ए०एस०) पदाधिकारी होते हैं। यह नगर निगम के मुख्य प्रशासक होते हैं। यह निगम के सभी कर्मचारियों के कार्यों की देखभाल करते हैं।
16. जिला परिषद के प्रमुख कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर- जिला परिषद् के कार्य निम्नलिखित हैं –
(i) कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना
(ii) सिंचाई की व्यवस्था करना
(iii) फलों एवं सब्जियों की खेती को बढ़ावा देना
(iv) घरेलू लघु उद्योगों, पशुपालन एवं मत्स्यपालन का विकास
(v) ग्रामीण विद्युतीकरण
(vi) ग्रामीण सड़कों एवं पुलियों का निर्माण
(vii) औषधालयों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण एवं देखरेख
(viii) प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों की स्थापना, देखरेख
(ix) निरक्षरता उन्मूलन, गरीबी उन्मूलन, नशाखोरी उन्मूलन
(x) अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़े वर्गों के लिए छात्रवृत्ति एवं छात्रावास की व्यवस्था, खेलकूद को प्रोत्साहित करना।
17. नगर परिषद के कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर- नगर परिषद के कार्य निम्नलिखित हैं
(i) सड़कों, गलियों एवं नालों की सफाई करना
(ii) जलापूर्ति करना
(iii) सड़कों एवं गलियों में रोशनी की व्यवस्था करना
(iv) यातायात की समुचित व्यवस्था करना
(v) बाजार एवं बूचड़खाने का प्रबंध
(vi) सड़कों, फुटपाथों, पुलों, घाटों एवं नालियों का निर्माण
(vii) वृक्षारोपण एवं उसकी देखभाल
(viii) सामुदायिक स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की सुविधा
(ix) शैक्षिक, खेलकूद एवं सांस्कृतिक कार्यकलापों को प्रोत्साहित करना
(x) पाकिंग क्षेत्र एवं बस ठहराव की व्यवस्था करना।
18. केंद्र और राज्य के संबंध पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर- संघीय शासन व्यवस्था में केंद्र एवं राज्यों के बीच घनिष्ठ संबंध होता है। भारत में संघ एवं राज्यों के बीच के संबंधों को तीन श्रेणियों में बाटा गया है। केंद्र राज्य के बीच कानून बनाने के लिए विषय बँटे हुए हैं। रेलवे, रक्षा, विदेश नीति इत्यादि महत्त्वपूर्ण विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। भूमिकर, बिक्री कर जैसे विषय राज्यों के पास और शिक्षा, कृषि जैसे विषय समवर्ती सूची में है। जिस पर केंद्र और राज्य दोनों को कानून बनाने का अधिकार है। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने पर वहाँ का शासन केंद्र के हाथों में चला जाता है। शासन व्यवस्था के लिए संघ और राज्यों की अपनी अपनी सरकारें होती हैं। केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों को लेकर विवाद भी होता रहता है, जिसका फैसला सर्वोच्च न्यायालय करता है।
19. आप कैसे कह सकते हैं कि मैक्सिको ओलंपिक की घटना, नस्लवाद से प्रेरित थी ?
उत्तर- मैक्सिको ओलंपिक का आयोजन सन् 1968 में हुई थी। इसमें विश्वभर के खिलाड़ियों ने भाग लिया था। जब 200 मीटर की दौड़ के पदक विजेता ऐफ्रो अमेरिकी धावक टोमी स्मिथ और जॉन कार्लोस नामक व्यक्ति को बुलाया गया तो उन्होंने हाथों में काले मोजे पहन लिए। कारण था उनके साथ लगातार नस्लवादी टिप्पणियों एवं अत्याचार को विश्व के सामने लाना। इस कार्य में एक श्वेत खिलाड़ी जो आस्ट्रेलिया के धावक पीटर नार्मन ने भी नस्ल आधारित विभेद का विरोध जॉन कार्लोस एवं स्मिथ का साथ दे कर किया। यह घटना नस्लवादी गतिविधियों से पूर्णतः प्रेरित था, इसने अमेरिका के चेहरे को दुनिया के सामने उजागर कर दिया।
20. लोकतंत्र में सामाजिक समूहों के बीच किस प्रकार समन्वय स्थापित किया जा सकता है ?
उत्तर- एक लोकतांत्रिक सरकार में विभिन्न सामाजिक समूहों को समुचित सम्मान दिया जाता है। इसके लिए निम्नलिखित साधनों का प्रयोग किया जाता है –
(i) सामाजिक समूहों के हितों एवं आवश्यकताओं की पूर्ति कर।
(ii) सामाजिक समूहों के मध्य शक्ति का विभाजन करके।
(iii) सामाजिक समूहों के बीच सामाजिक संतुलन बनाकर।
(iv) सामाजिक समूहों को स्वतंत्रता प्रदान कर।
(v) पिछड़े वर्ग एवं महिलाओं को आरक्षण का सुविधा प्रदान कर।
21. नाइजीरिया में किस प्रकार की समस्याएँ है ? चर्चा करें।
उत्तर- नाइजीरिया में सन् 1950 में संघीय व्यवस्था की स्थापना की गई थी, परन्तु नाइजीरिया में तीन बड़ी जातीय समहो-एरूबा, इबो तथा हउसा फुलानी के द्वारा अपने प्रभावों को बढ़ाने के लिए प्रयास तेज हुए। इसके परिणामस्वरूप अन्य जातीय समूहों में भय एवं संघर्ष का माहौल बना और एक सैनिक शासन की स्थापना हुई। 1999 में नाइजीरिया में लोकतंत्र की दबारा बहाली हुई लेकिन धार्मिक विभेद बरकरार रहे। नाइजीरियाई संघ के सामने यह भी समस्या बनी रही कि तल ससाधन से प्राप्त राजस्व पर नियंत्रण होगा।
इस प्रकार नाइजीरिया की विभिन्न संघीय इकाइयों के बीच धार्मिक, जातीय और आर्थिक मतभेद जारी हैं।
Geography ( भूगोल ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1 | भारत : संसाधन एवं उपयोग |
2 | कृषि ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) |
3 | निर्माण उद्योग ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) |
4 | परिवहन, संचार एवं व्यापार |
5 | बिहार : कृषि एवं वन संसाधन |
6 | मानचित्र अध्ययन ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) |
History ( इतिहास ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1 | यूरोप में राष्ट्रवाद |
2 | समाजवाद एवं साम्यवाद |
3 | हिंद-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन |
4 | भारत में राष्ट्रवाद |
5 | अर्थव्यवस्था और आजीविका |
6 | शहरीकरण एवं शहरी जीवन |
7 | व्यापार और भूमंडलीकरण |
8 | प्रेस-संस्कृति एवं राष्ट्रवाद |
Political Science दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1 | लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी |
2 | सत्ता में साझेदारी की कार्यप्रणाली |
3 | लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष |
4 | लोकतंत्र की उपलब्धियाँ |
5 | लोकतंत्र की चुनौतियाँ |
Economics ( अर्थशास्त्र ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1 | अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास |
2 | राज्य एवं राष्ट्र की आय |
3 | मुद्रा, बचत एवं साख |
4 | हमारी वित्तीय संस्थाएँ |
5 | रोजगार एवं सेवाएँ |
6 | वैश्वीकरण ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) |
7 | उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण |